शायरी
अच्छे वक्त की तलाश होती है सबको
बुरे के आने से घबरा जाते हैं सब
काश अगर सारा वक्त अच्छा ही होता
तो बुरे को कौन याद करता मेरे दोस्त !!
आपने फूलों से और मैंने काँटों से दोस्ती की है
दिल को समझाने के लिए इन से मोहोब्बत की है
नाजुक कलिओं को सब प्यार कर लेते हैं न
हम ने तो उन सब से ही बगावत जो की है !!
अजीत तलवार
मेरठ