“घड़ी”
टिक-टिक-टिक घड़ी चलती,
भाग्य पर नित ताने कसती
मेहनत करना हमें सिखाती,
रोज हमें सुबह जगाती।
एक लक्ष्य लिए दौड़ती,
प्रति सेकेंड मोल समझती,
कभी नहीं राह भटकती,
अविराम पथिक हो चलती।
ठंडी, गर्मी हो बरसात,
कभी नहीं करती विश्राम,
चांद, सूरज, तारे भी तो,
रखते हैं नित्य समय का ध्यान।।
वर्षा (एक काव्य संग्रह)से/ राकेश चौरसिया