शायरी
ए लोगों खुश ना होना कि तुम्हें एक दोस्त मिल गया,
हमने दोस्ती में दगा खाते हुए देखा है ,
दूसरों की क्या कहें खुद अपने दिल को रोते हुए देखा है ।।
दूसरों की यादों में यूं गुम हो गई हूं मैं ,कि खुद को ही भूल गई हूं मैं
आज कोई मुझसे ही मेरी पहचान करा दे, कि मेरी शख्सियत से मुझे रूबरू करा दे।।
सबको चाह कर भी खुश नहीं कर पाते हैं हम,
सब कुछ करके भी बुरे बन जाते हैं हम।।
मेरी जिंदगी में वह मंजर कभी ना आए कि कोई अपना बिछड़े ,
उससे पहले हम चले जाएं ,इस गम के समंदर को न सह पाएंगे हम, सच कहते हैं मर जाएंगे हम ।।
जब भी दोस्त बेवफा निकले तो तन्हाई काम आती है,
कम से कम ये हर पल हमारा साथ तो निभाती है।।
अभी तो दोस्ती में पहला कदम ही बढा़येथे हम, कि उसने अभी से हमारे जज्बातों से खेलना शुरू कर दिया, हम उसकी यादों में आंसू छलकाए बैठे हैं और उसने हमारी दोस्ती पर हंसना शुरू कर दिया।।
अक्सर लोग अपना जताकर कर दिल तोड़ दिया करते हैं, खुशियां देकर ग़म में तनहा छोड़ दिया करते हैं।।