शायरी
सरकार की मजबूरियों पे ,
जाना था दूरियों पे,
घर हमारा दूर था,
हर इंसान चलने को रस्ता मजबूर था,
Jayvind Singh Ngariya Ji
सरकार की मजबूरियों पे ,
जाना था दूरियों पे,
घर हमारा दूर था,
हर इंसान चलने को रस्ता मजबूर था,
Jayvind Singh Ngariya Ji