शायरी
उलझनें तेरे मैरे रिस्ते की हैं,
हम तुम एक दूसरे से अच्छी तरह घूल मिल जाये,
हम खुद ही बता दें लोगों को अपने बारे में,
ऐसा न हो कि वो कुछ और समझ जाये,
Jayvind Singh Ngariya Ji
उलझनें तेरे मैरे रिस्ते की हैं,
हम तुम एक दूसरे से अच्छी तरह घूल मिल जाये,
हम खुद ही बता दें लोगों को अपने बारे में,
ऐसा न हो कि वो कुछ और समझ जाये,
Jayvind Singh Ngariya Ji