शायरी
जज्बातों को समझने बाले कम होते हैं,
इसलिए तो लोग अकेले में रोते हैं,
महल तो जरूरत बारों के होते हैं,
शायर के दिल में महल और वो किनारों पर होते हैं,।
Jayvind Singh Ngariya Ji
जज्बातों को समझने बाले कम होते हैं,
इसलिए तो लोग अकेले में रोते हैं,
महल तो जरूरत बारों के होते हैं,
शायर के दिल में महल और वो किनारों पर होते हैं,।
Jayvind Singh Ngariya Ji