शायरी
अपनों की याद में यूं आंखें तड़प गई,
आये नहीं वो कयी घड़ियां निकल गई,।
क्या पता कोई मजबूरी या बहाना था,
हमें तो बस उनके साथ वक्त बिताना था,।
Jayvind Singh Ngariya Ji
अपनों की याद में यूं आंखें तड़प गई,
आये नहीं वो कयी घड़ियां निकल गई,।
क्या पता कोई मजबूरी या बहाना था,
हमें तो बस उनके साथ वक्त बिताना था,।
Jayvind Singh Ngariya Ji