शायरी
चांद तो मेरा हमसफ़र बन गया है,
जब से रातों में जागने लगा हूं,
और,सितारे नाराज़ से लगते हैं मुझसे थोड़े,
जब से तेरी तस्वीर रातों में निहारने लगा हूं।
चांद तो मेरा हमसफ़र बन गया है,
जब से रातों में जागने लगा हूं,
और,सितारे नाराज़ से लगते हैं मुझसे थोड़े,
जब से तेरी तस्वीर रातों में निहारने लगा हूं।