शायरी संग्रह
मत पूछो मुझ पर क्या , क्या गुजर रही
जब से एक दर्दे दिल
नासूर बन गया आजकल !
2 –
होते वो जो हमारे पास ,
आंचल ,सिरहाना , कंधे ,हाथ , दुपट्टा
पकड़ कर हम भी रो लेते !
सुना है हमने भी रोने से दर्द कम हो जाता हैं !
3 –
दर्दे दिल की दुआ , दवा , किस से मांगू
यहां तो कमबख्त
खुदा भी अपना दिल तोड़े बैठा है !
4 –
वह देख लेगी मुझे अपनी निगाहों से
तब भी ठीक है ,
वरना हम तो खुदा समझ कर बैठे हैं उन्हें
उन्ही की मजार पर ।
5 –
वह जो रुखसत हो गई
मेरे दिल से हो कर ,
बेड़ियां , जंजीर , फंदे , गांठ , बांध लेते
गर बन जाती वो मेरी हो कर !
6 –
हम खुशी लिए फिरते हैं अपनी जिंदगी की
सच तो यह है
मौत आना अभी बाकी है मेरे दोस्त !
7 –
बे वजह यूं ना टूटा कर ए मेरे दिल
ये शीशे होते ही हैं फरेबी !
8 –
वह दे गई मेरे हिस्से
रोना , तनहाई ,जागना , दर्दे दिल ।
और हम हैं कि कमबख्त
इनको संभाले फिरते हैं ।।
9 –
मत पूछो मुझ पर क्या , क्या गुजर रही
जब से एक दर्दे दिल
नासूर बन गया आजकल
10 –
होते वो जो हमारे पास ,
आंचल ,सिरहाना , कंधे ,हाथ , दुपट्टा
पकड़ कर हम भी रो लेते !
सुना है हमने भी रोने से दर्द कम हो जाता हैं !
11 –
दर्दे दिल की दुआ , दवा , किस से मांगू
यहां तो कमबख्त
खुदा भी अपना दिल तोड़े बैठा है !
12 –
वह दौर भी चिट्ठियों का अजब था
अल्फाजों की स्याही में डूबी हुई कलम ,
इजहार-ए-मोहब्बत की निशानी में
रखा हुआ लाल गुलाब था !!
13 –
वो एक ही शख्स दिल से उतरता नहीं
यूं तो मंजिल में मुसाफिर ,
हमसे हजारों मिले !
14 –
हम उलझते रहे हिंदू , मुस्लिम की पहचान में
फिर एक गरीब भूखा सोया रात भर
ए मालिक तेरे दर पर !
उफ्फ यह धर्म के झगड़े ।।
15 –
उनसे बिछड़ कर ना जाने फिर कहां मिले
हे खुदा से दुआफिर हम कहीं ना मिले !!