शायरी-रौशन राय के कलम से
ना चाहते हुए भी दुखों का पहाड़ टुट जाता है
थोड़े से भुल की खातिर अपनों का साथ छुट जाता है
कदर नहीं भावना और जज़्बातों का
अपने ही अपनों का खुशियां लुट जाता है
ना चाहते हुए भी दुखों का पहाड़ टुट जाता है
थोड़े से भुल की खातिर अपनों का साथ छुट जाता है
कदर नहीं भावना और जज़्बातों का
अपने ही अपनों का खुशियां लुट जाता है