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26 Nov 2021 · 2 min read

शायरी – रौशन राय के कलम से

शायरी – रौशन राय के कलम से

1. क्या बात करु तुमसे अल्फाज़ निगाहें कह लिया
मुश्किल में है ज़िन्दगी तेरी, और तु हर तकलीफें सह लिया

2. अब हक़ रहा न तुम पे हमारा, ये तुम भी तो जानती हो
रश्मों रिवाज इस ज़माने की, क्यों नहीं तुम मानती हो

3. हम समझे हमारे नसीब तुम नहीं,और दिल को हमने समझा लिया।
तुम बताओ तुम अपने आप को किसी गुनाह का सज़ा दिया

4. चिराग मोहब्बत का मेरे दिल में, तुम ने ही तो जलाई थी
किया था राख उन कसमें वादे का, जो साथ हमारे तुमने खाई थी

5. एक एक ज़ख़्म का तिनका बटोर कर आशीयाना बनाया था
तेरे जाने के वाद उसे हमने, अपने हाथों से ही जलाया था।

6. सोचा मेरे मुकद्दर में इश्क नहीं, तुम्हें मोहब्बत मुबारक हो
महफूज़ रखे तुम्हें ख़ुदा , महबूब तुम्हारा इबादत हों

7. जाओ अपने हम सफ़र के पास, उन्हें धोखा देना ठीक नहीं
कबुल की थी उसे तुमने, क्या वो तुम्हारा मन मीत नहीं

8. तेरी जुदाई के सैलाब में,वो सारे अरमान बह गया।
नाज़ा हमें जिस इमारत पे, वो सैलाब में ढ़ह गया

9. तेरा दिया हुआ गम तनहाई, अब मेरा खजाना है।
कोई चुरा लें हमसे किसको, मालूम कहां ठिकाना है

10. खाएं हुएं हैं चोट पीते रहते हैं आंसू इनमें भी तो प्यार का स्वाद है
ख्याल में भी ना आये तुम्हें दर्द का एहसास ये मेरा फरियाद हैं

11. जाओ लौट जाओ तुम अब अपने घर को राह कोई देखता होगा।
वहीं सब कुछ है अब तुम्हारे लिए वो भी तो सपने कोई सजाता होगा

12. हमने तुमसे प्यार किया हैं और अब भी प्यार करते हैं
दाग़ दार न हों जाओ तुम कहीं इसलिए चलें जाने को कहते
हैं
13. आशीक हूं मैं कोई माइखाने का शराबी नहीं।
झुमते चलता हूं इश्क में तुम्हारे इसमें कोई खराबी नहीं

रचनाकार – रौशन राय
तारीख – 25-10 -2021
मोबाईल – 9515651283/7859042461

Language: Hindi
Tag: शेर
176 Views
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