बड़ी ख्वाहिश थी उसकी मुझे बदनाम करने की।
बड़ी ख्वाहिश थी उसकी मुझे बदनाम करने की,
मेरी हर राज़ की बातें सरेआम करने की।
मेरी जिद थी करूं पूरी मैं उसकी इस तमन्ना को,
वो धुन में थी मेरे इस काम को नाकाम करने की।।
रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
सं०- 9534148597