शायराना हो गया
अंदाज़ मेरा जब ज़रा सा कातिलाना हो गया।
तबसे मेरा महबूब थोड़ा शायराना हो गया ।।
नजरो ने नजरों से न जाने कैसी कर ली गुफ्तगू ।
मैं भी दिवानी हो गयी वो भी दिवाना हो गया।।
सारे ज़माने की नज़र मुझ पर टिकी रहती हैं अब।
मेरी गली में जबसे उनका आना जाना हो गया।।
तारीख दर तारीख पेशी तब मुलाकातें बढ़ीं ।
अब रोज़ ही कोई न कोई फिर बहाना हो गया।।
वो बाद मुद्दत के मिले तो लाज़मी ही थी ख़ता।।
दीवाना दिल था और मौसम आशिकाना हो गया।।
अपनी मुहब्बत का किया इजहार सबके सामने।
है जिक्र तेरा गीत ग़जलों का बहाना हो गया।।
मुझको रिझाने के लिए कुछ शेर क्या उसने कहे।
अब हाल ये है आज उसका जग दिवाना हो गया।।
कांधे बढ़ा जब बोझ ख्वाहिश शौक हसरत दब गई।
अब जिंदगी का फलसफा खाना कमाना हो गया।।
अंधेर नगरी और चौपट राजा सी होगी दशा।
जब राह दिखलाने को आगे आगे काना हो गया।।
दहशत का आलम ज्योति अब तो रातदिन बढ़ने लगा।
इस दौर में मुश्किल बहुत बेटी बचाना हो गया।
✍🏻श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव