शायद …
शायद …
तुम्हें याद भी ना रहे
कोई तुम्हे शिद्दत से चाहता था
जीता था तुम्हारे लिए
दिल ग़र धड़कता था
तो तुम्हारे लिए धड़कता था …!!
होगा फ़िर कुछ यूँ
वक़्त की तरह
गुज़र जाऊँगा एक दिन मैं
और टिमटिमाते हुए
दूर आसमान से देखूँगा तुम्हें
और शायद..
तुम्हें भी
किसी एक लम्हे में
उस सितारे में
एक धुंधला सा अक्स
नजर आ जाए.. उसका
जो तुम्हारे साथ
गुजारना चाहता था
एक जिंदगी…!!!!
हिमांशु Kulshrestha