शायद मेरी बातों पर तुझे इतनी यक़ीन ना होगी,
शायद मेरी बातों पर तुझे इतनी यक़ीन ना होगी,
यकीनन फिर आसमां किसी ज़मीन पर ना होगी
तुम ज़माने की बेवजह बातों पर मुतमईन ना होना,
तेरी इबादत में इन लफ़्ज़ों से कभी आमीन ना होगी
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”
शायद मेरी बातों पर तुझे इतनी यक़ीन ना होगी,
यकीनन फिर आसमां किसी ज़मीन पर ना होगी
तुम ज़माने की बेवजह बातों पर मुतमईन ना होना,
तेरी इबादत में इन लफ़्ज़ों से कभी आमीन ना होगी
©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”