शायद कभी हम जलाने के काम आए
गीत, गजल, कविता सुनाने के काम आए
जब तक रहे ‘काका’ हँसाने के काम आए
लकड़ी समझकर हमको रख दो चूल्हे के पास
शायदी कभी हम जलाने के काम आए
गीत, गजल, कविता सुनाने के काम आए
जब तक रहे ‘काका’ हँसाने के काम आए
लकड़ी समझकर हमको रख दो चूल्हे के पास
शायदी कभी हम जलाने के काम आए