शाम
सूरज के घोड़े सोने चले
नारंगी छटा में नहाया गगन
शाखों ने ओढ़ी काली चुनरिया
सरोवर के तट पर मचलती पवन
झिलमिल सितारों की अविरल लड़ी
चंदा की किरणें जो जल पर पड़ी
जुगनू की जग-मग से रौशन चमन
मदमाते नैयनों से झरता अमन
थके-क्लांत पंछी प्रणय गीत गाएं
छवि प्रियतमा की हृदय में समाए
शीश महल में छलकता जाम
देखो, सुबह से हो गई शाम….।
(मोहिनी तिवारी)