शाम सवेरे हे माँ, लेते हैं तेरा हम नाम
शाम सवेरे हे माँ, लेते हैं तेरा हम नाम।
सबसे प्यारी हमको तू , हे माँ तुमको प्रणाम।।
वन्दे मातरम, वन्दे मातरम,————-(2)
शाम सवेरे हे माँ———————-।।
कश्मीर है शीश तुम्हारा, जो तेरा ताज है।
दिल्ली है दिल तेरा, जिसपे जग को नाज है।।
पंजाब, सिंधु , गुजरात, मराठा, काशी, मथुरा धाम।
सबसे प्यारी हमको तू , हे माँ तुमको प्रणाम।।
वन्दे मातरम, वन्दे मातरम,————-(2)
शाम सवेरे हे माँ———————-।।
राम- रहीमा,सूर- कबीरा, नानक की यहाँ वाणी।
सबको तुमने प्यार दिया है, तू है माँ कल्याणी।।
हिंदू- मुस्लिम, सिक्ख- ईसाई, सबका एक पैगाम।
सबसे प्यारी हमको तू , हे माँ तुमको प्रणाम।।
वन्दे मातरम, वन्दे मातरम,————-(2)
शाम सवेरे हे माँ———————-।।
आज़ाद- भगतसिंह, प्रताप- शिवाजी की तू है जननी।
तेरी आन- शान के लिए जिन्होंने, दी अपनी कुर्बानी।।
तू सुजला- सुषिर- सुदर्शन, सुफला और अभिराम।
सबसे प्यारी हमको तू , हे माँ तुमको प्रणाम।।
वन्दे मातरम, वन्दे मातरम,————-(2)
शाम सवेरे हे माँ———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)