शादी का बंधन
शादी का बंधन
शादी का बंधन, चाहे हो प्रेम या हो अरेंज,सफल वही होती है, जहाँ दिलों का हो मेल।रिश्ते की बुनियाद, सिर्फ रस्मों में नहीं,
प्रेम, विश्वास, और सम्मान से हो सजी।।
प्रेम वो धागा है, जो जोड़े दिलों को,बिना शर्त, बिना स्वार्थ, बढ़ाए रिश्तों को।एक-दूसरे का साथ हो जब हर पल,तभी रिश्तों में खिलते हैं स्नेह के फूल।।
विश्वास वो किला है, जो बनाए रिश्ते को मजबूत,हर कठिनाई में देता है दिलों को राहत।एक-दूसरे पर जब होता है अडिग यकीन,
तभी रिश्तों में चमकता है सच्चाई का रंगीन।।
सम्मान वो धरती है, जहाँ रिश्ते पनपते हैं,बिना इसे, कोई भी रिश्ता सूख जाता है।एक-दूसरे की भावनाओं का हो सम्मान,
तभी रिश्तों में होता है सच्चा अभिमान।।
चाहे हो लव मैरिज, या अरेंज की सूरत,शादी सफल होती है जब दिल हो मिलते।प्रेम, विश्वास, और सम्मान से हो सजी,तभी रिश्तों में रहती है खुशियों की बजी।।
शादी का रिश्ता, सिर्फ नाम का नहीं,ये वो सफर है, जिसमें साथ हो हर पल।दिलों की सच्चाई, और भावनाओं का संग,तभी ये बंधन बनता है अटूट और अनंत।।