शादी का आयोजन एक स्वीकृत सामाजिक मुद्दा
मनुष्य ने बुद्धिजीवी बनने में काफी लंबा सफर तय किया है,
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है.
वह समूह में ,संघ में, इकट्ठा क्यों रहता है.
जवाब साधारण सा है,
असाधारण रहस्य और असंभावी समस्याओं से पार पाने के लिए. उदाहरण कबीले के रुप में..
खानाबदोशी,
शरीर *आहार *निद्रा *ब्रह्मचर्य रूपी तिपाई पर
टिका है.
अब समाज ने क्या किया संचालन जो सुचारू अबाध रुप से समाज आगे बढे, सुनियोजित तरीके से आदमी सहज सरल जीवन जी सके.
शादी का आयोजन, वह सामाजिक व्यवस्था और देखरेख और समाज को उन्नति देने वाला आयाम है.
जो चार पुरुषार्थ से सीधे तौर से सफल होते है.
धन से काम
धर्म से मुक्ति यानि मोक्ष.
इति सिद्धम् … सामाजिक मुद्दा.. शादी व्यवस्था पर सामाजिक जीवन टीक है.