शांति के वाहक
शांति के वाहक
श्वेत पुष्प जो मिले बुद्ध से, शांति के वे परिचायक हैं
शांति के संदेशे हैं वे, इस भू पर शांति के वाहक हैं।
नर से भी आगे बढ़कर, नारीशक्ति शांति प्रचारक है
धरा पर जितने युद्ध हुए, नारी ने उसका दंश सहा है।
विश्वयुद्ध, संघर्ष कहीं हो, किस नारी ने कब चाहा है?
परिवार से विश्व पटल तक,शांति को सदा सराहा है।
जब मातृभूमि की बात रही, रक्षा में शस्त्र संभाला है
अनेक वीरांगनाओं ने तब, अपना बलिदान दिया है।
आक्रांताओं को धूल चटाना, सदा शांति के हित में है
पहले लेकिन युद्ध न हो, इस हेतु प्रयास आवश्यक है।
त्रेता में देखा मंदोदरि को, और महाभारत में गांधारी
युद्ध न हो इस दुनिया में, इस हेतु सदा प्रयासरत थीं।
श्वेत पुष्प हैं, श्वेत हंस हैं, नारी संग शांति प्रसारक हैं
शांति-धर्म की अनुगामिनी,नारी सत्य-शिव-सुंदर है।
मातृभूमि- रक्षा जरूर हो, शेष शांति संग जीना सीखें
होगी पृथ्वी स्वर्ग सरीखी, मानव हिंसा से विरत रहे।
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–राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, स्वरचित/मौलिक।