श़ायरी का आग़ाज़
दिल में जब दर्द उठता है तो ए़़हसास उभर आते हैं।
बनते हैं ज़ब्त़े ग़म जज़्बात बन जाते हैं।
उबलते जज़्बात अल्फ़ाज़ बन जाते हैं।
इज़हारे अल्फ़ाज़ अश़आर बन जाते हैं।
अश़आर बनते बनते पैकर से लिखें सफ़ों पर श़ायरी बन प़ेशआते हैं।
दिल में जब दर्द उठता है तो ए़़हसास उभर आते हैं।
बनते हैं ज़ब्त़े ग़म जज़्बात बन जाते हैं।
उबलते जज़्बात अल्फ़ाज़ बन जाते हैं।
इज़हारे अल्फ़ाज़ अश़आर बन जाते हैं।
अश़आर बनते बनते पैकर से लिखें सफ़ों पर श़ायरी बन प़ेशआते हैं।