शहीद की मां
तुम रोना नहीं, मां
तुम रोना नहीं, मां
ये आंसुओं के मोती
तुम खोना नहीं, मां…
(१)
हर सच्चे आदमी को
मिलता यही ईनाम
दाग़ अपने दिल के
तुम धोना नहीं, मां…
(२)
वह देखो किस तरह
जाग रहा पूरा देश
जितनी भी नींद आए
तुम सोना नहीं, मां…
(३)
तुमको देखकर हमें
मिलता है हौसला
इतनी जल्दी मायूस
तुम होना नहीं, मां…
(४)
जो ख़ुशबू बनकर
घुल जाए न हवा में
ऐसा कोई फूल
तुम बोना नहीं, मां…
(५)
जो धरती के लिए
एक बोझ बन जाए
उसे अपनी गोद में
तुम ढोना नहीं, मां…
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Shekhar Chandra Mitra
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