शहीद का सिर
शत्रु ने बर्बरता से सैनिक का सिर जब काट लिया।
कटे हुए सिर ने फौरन शत्रु का षड्यंत्र भांप लिया।
शेष शरीर से बोला सिर यह मेरे भरोसे मत रहना।
जब जाये तू जन्मभूमि तो मस्तक बनकर झुक जाना।
मेरे सब परिवार जनों को मन की आंखो से निरख लेना।
किसको कैसे ढ़ाढ़स देना अच्छी तरह से परख लेना।
कह देना परिवार जनों से ज्यादा शोक मनाएं न।
मेरे इस बलिदान को रोकर ब्यर्थ वो यूं ही गंवाएं न।
जाकर कहना मोदी जी से वापस कदम हटायें न।
जब तक शीश न दस कटवादें मेरी चिता जलवएं न।
अपनी सारी बर्बरता को पाक तभी तज पाएगा।
एक शीश के बदले मे दस सिर फौरन ककटवाएगा।
यदि ऐसा हिसाब हुआ तो चैन से में मर पाउगा।
भले हो माटी पाक की लेकिन मां की गोदीसोच के प्राण गंवाऊनगा।
रेखा मरते मरते देश का नाम अमर कर जाऊंगा।
किंतु मोदी जी से बदले का आग्रह कर जाऊंगा।