शहीदों के लहू का वो …: गीत
कारगिल के शहीद कैप्टेन मनोज कुमार पाण्डेय को समर्पित…
(जन्म : 25 जून 1975, सीतापुर, उत्तर प्रदेश — वीरगति: 3 जुलाई 1999, कश्मीर)
शहीदों के लहू का वो फुहारा याद आता है
वो मंजर याद आते हैं नज़ारा याद आता है
लिखी है हमने आजादी इबारत खूँ के कतरों से
मिटाने को उसे भी हम लगे हैं नाज़ नखरों से
बहुत दिल पर चले आरे दोबारा याद आता है
वो मंजर याद आते हैं नज़ारा याद आता है
शहीदों के लहू का वो ……………………………………
हमी दुश्मन हैं अपनों के खुदी पे वार करते हैं
लगाते घाव अपनों को नहीं वो प्यार करते हैं
मिटा डाला वो अपनापन बेचारा याद आता है
वो मंजर याद आते हैं नज़ारा याद आता है
शहीदों के लहू का वो ……………………………………
अभी भी कुछ न बिगड़ा है संभल जाओ मेरे भाई
नशा दौलत का छोडो अब चले आओ मेरे भाई
न खेलो खेल खुदगर्जी, सहारा याद आता है
वो मंजर याद आते हैं नज़ारा याद आता है
शहीदों के लहू का वो ……………………………………
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’