शहीदों की कुर्बानी
ए फरिश्तों ,! तुम क्या सजाओगे अपनी जन्नत को,
हमारे वतन को शहीदों ने अपने खून से सजाया है।
मिटाया अपने वजूद को इसकी आन बान शान में,
तब जाकर इसकी माटी का बसंती रंग आया है।
ए फरिश्तों ,! तुम क्या सजाओगे अपनी जन्नत को,
हमारे वतन को शहीदों ने अपने खून से सजाया है।
मिटाया अपने वजूद को इसकी आन बान शान में,
तब जाकर इसकी माटी का बसंती रंग आया है।