शहर बसते गए,,,
शहर बसते गए,,,
गांव उजड़ते गए,,,
पढ़ें लिखे शहरों के लोग परन्तु चालाकियां उनकी गांव के भोले भाले लोगों को छलती गई,,
शहर में आपस में बैर रखते गए पीठ पीछे सामने रिश्ता निभाते गये,,,
गांव में सामने भले हीं बैर रहा परन्तु कठिन समय में दुश्मन भी दोस्त जैसे कांधे से कांधा मिलाए रहें,,!!