“शहर को दुआ देते हैं”
किसी के आसूंओं को पोंछ कर, हंसा देते हैं !
इस बार, दिवाली कुछ इस तरह मना लेते हैं !!
बहुत शोर हो रहा है , बम-पटाखों का यहां,
चलो, सब मिलकर इस शहर को दुआ देते हैं !
तेरी रसोई में तो रोज दिवाली रहती है, दोस्त,
आज किसी भूखे शख्श को मिठाई,खिला देतें है!