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26 Apr 2024 · 1 min read

शहर की बस्तियों में घोर सन्नाटा होता है,

शहर की बस्तियों में घोर सन्नाटा होता है,
सफर में अक्सर इंसान अकेला होता है,
मंजिल की चाह में रुकसत हो जाता है अपने घर से,
अंधेरी रात में मगर वो छिपकर रोता है।

अभिषेक सोनी “अभिमुख”

1 Like · 84 Views
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