शहर कि वो झिल्मिलाती रोशनी
शहर कि वो झिल्मिलाती रोशनी
कहीं खो सी गयी थी
लोगों के दिल का वो चैन
कहीं खो सा गया था
दौड भाग भरी ज़िन्दगी में
सुकून कहीं मिट सा गया था
याद सी आयी आज वो शाम
जब उसस बारिश से नहाए सूरज ने अपनी नारंगी सी रोशनी बिखेर कर आंखों को सुकुऊं दिया।