शर्म
शर्म
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आज तो कमाल हो गया जी,
तुझे देख कर चांद शर्म से लाल हो गया जी।
सजती हो सवरती हो निखरती हो जी,
मुझे देखने को मजबुर करती हो जी।
काले बाल जब लहराती हो ,
गोरे गोरे गाल पे शर्माती हो।
तुम्हारी तारीफ क्या करू,
दिल में उतर जाती हो जी।