शरारती बंकू
किसी शहर के समीप एक जंगल था, जिसका नाम सुंदरवन था। उस वन में सारे जानवर ख़ुशी ख़ुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे, उस वन में एक बंदर का बच्चा था। वह बहुत शरारती था, फिर भी वह सबका प्यारा था। उसका नाम बंकू था।वह वन में अपने दोस्तों के साथ घूमता रहता था, एक दिन वह शहर जाने की सोच रहा था। उसने अपने साथियों से शहर की और साथ चलने की और कहा पर सबने शहर जाने से मना कर दिया,क्योंकि उसके माता पिता ने उन्हें शहर जाने से मना किया था।इसलिए उसके दोस्तों ने शहर जानें से मन कर दिया। बंकू अपने माता पिता से शहर जानें से मना कर दिया, बंकू के माता पिता ने बंकू से कहा की तुम अभी बच्चे हो,वहां पर बहुत भीड़ भार गाड़ी-मोटर होती है,जान जाने का भी खतरा रहता है,पर उसकी शहर जाने की इच्छा खत्म नही हुई।एक दिन राजा शेर सिंह का जन्मदिन था,सारे जानवरों को न्योता दिया गया था,सारे जानवर वहां चले गए पर बंकू बहाने बनाकर घर में ही रह गया, जब सब लोग चले गए तब वह घर से चुपके चुपके शहर की और निकल गया, वह शहर पहुँच गया की अचानक रोड पार करते समय किसी गाड़ी ने उसे धक्का दे दिया वह वही तुरंत मर गया जब सब बंदर घर पर आये तो उन्होनें देखा की बंकू घर पर नहीं है, बंदरों को अपने जेरे तथा बच्चों की गंध दूर से ही लग जाती है, सूंघते सूंघते वे सब शहर आ गए और देखा की वहां पर बहुत भीड़ लगी थी, सामने जाकर देखा तो उसका ही बंकू सरक पर लेटा परा था, उसने सोचा की वह बेहोंश हो गया है, कुछ बंदरों ने उसे सूंघ कर देखा कुछ बंदरों ने उसे जरी बुटी लाकर सुंघाया .उसके माता पिता ने उलट पुलट कर देखा तो उन्हें मालूम हुआ की वो मर गया है। उन सब बंदरों ने सरक को जाम कर दिया , और वही बैठकर सब रोने लगे, गाड़ी वाले ने बंकू का अंतिम संस्कार किया।तब जाकर उन बंदरों ने उसका रास्ता छोड़ा, हालाँकि उस गाड़ी वाले का कोई दोष नहीं था। बंकू शहर में इतनी भीड़ भार को देखकर डर गया था। और इधर उधर भागने लगा था , शहर में तो गाड़ी मोटर चलती ही रहती है। उसने अपने माता पिता की बात नही मानी थी । इसलिए उसका ये हाल हुआ।
नाम-ममता रानी ,राधानगर ,(बाँका)