शराब
रात नौ बजे की की वी न्यूज़ में बताया गया की सरकार कल से शराब की दुकानें खोलने का पर्मिशन दे दिया है और कल से शराब की बिक्री चालू हो जाएगी। करीब डेढ़ माह के लाक डाउन के पश्चात बहुत से लोगों के दिलों में खुशी की लहर दौड़ गई।
दुसरे दिन लोगों की लम्बी लम्बी कतारें लग गई कुछ लोग तो आधी रात से ही लाईन में लग गए मगर सुबह होते-होते भीड़ इतनी बढ़ गई की धक्का मुक्की होने लगी पुलिस अपनी तरफ से कोशिश कर रही थी पर लोगों की भीड़ को कोई फर्क नहीं पडा । उसी तरह धक्का मुक्की होती रही कहीं तू तू मैं मैं कहीं गाली गलौज हर कोई यही समझ रहा था की उसका नंबर आते तक मिलेगी की नहीं इसी चक्कर में मारपीट भी शुरु हो गई भीड़ पर कंट्रोल न होते देख पुलिस को भी डंडे चलाने पड़े धक्का मुक्की और लाठियों की मार से बचने के लिए भगदड़ मच गई की लोग गंभीर रूप से घायल हुए और जब भीड़ नहीं संभाली गई तो दुकान बंद करवानी पड़ी हताश लोग अपने अपने घर सरकार को कोसते हुए लौटने लगे इतना सब कुछ होने के बाद भी दुसरे दिन उससे भी ज्यादा भीड़ हो गई तो मैं सोचने लगा नोट बंदी के समय भी कतारें लगी थी और कतारों में लगे लोग जीभर कर सरकार को कोस रहे थे।
और आज वही लोग एक बोतल शराब के लिए जान पर खेलने को भी तैयार हैं ये कैसी विडम्बना थी की हमारी संस्कृति हमारे आदर्श हमारी सोच सिर्फ एक बोतल शराब तले दबी पड़ी थी।
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© गौतम जैन ®