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20 Sep 2024 · 3 min read

शराब का इतिहास

शराब का इतिहास

(1)2021 अनुसार
(1)हर साल देश में 4*13000लाख रोड एक्सीडेंट होते हैं !

( 2) 3*85000 लाख घायल होते हैं !

(3) 1* 53000 लाख मारे जाते हैं!

(4) हर रोज 1130 हादसे होते हैं!

(5) 422 मोते होती हैं !

( 6)हर घंटे 47 एक्सीडेंट और 18 मौते होती है!

नशा शराब विनाश लीला
शराब तीन शब्दों से बनता है!
स++से सर्वस जात है!
रा==से राय भुलाए||
व==से बेरी होता है!
यह शराब स्वभाव||

(1)नशा नाश की जड़ धीरे-धीरे बढ़ती रहती है!
आज नहीं तो कल विनाश करके रहती है| आज उनका कल अपना डोरी चलती रहती है!
बहार जैसा जीवन यह पतझड़ बनाके रहती है||

(2)एक शराबी 100 लोगों को बर्बाद कर रहा है!
कानून सच्चे लोगों को जेल में ठूस रहा है|| नेताजी कहते देश विकास रफतार पकड रहा है!
गौ मां की पीडा मदिरा विकास रोक रहा है||

(3)एक शराब का पौआ सौ रुपए में मिल रहा है!
एक शराबी उनको एक लाख में पढ़ रहा है||
देखो उल्टा गणित क्या कमाल कर रहा है विनाश को विकास का मेडल दे रहा है ||

(4)पाक चीन का आक्रमण फिर क्या कर पाओगे!
छप्पन इंच सीना नेता जी कहां से लाओगे धूत रहेगा देश चुनाव चिन्ह किसे बताओगे नेताजी अपनी सुरक्षा हाथ किसके थमा ओगे||

(5)बने हो देश के राजा जनता को सुकून दे दो!
जनता मरती प्यासा पौआ नहीं गिलास दे दो||
नहीं होता नशा मुक्ति एक वस्तु हमको दे दो!
सारे भारत वासियों को एक साथ मौत दे दो||

(6)नशे ने जवानी में बुढ़ापा ला दिया! भाई को भाई का दुश्मन बना दिया ||बीमारी का केंद्र स्थाई बना दिया!
चलती फिरती तीन सौ दो बना दिया||

(7)शराबी की पत्नी नित रोज कुट रही है कपड़ा और रोटी को बहुत तरस रही है|| हाथों से रोटी बच्चों के छूट रही है!
महिला सशक्तिकरण वात चल रही है|| पति की मौत नशा कारण हो रही है! विधवा पेंशन ब कायदा मिल रही है||

(8) टूट गई हंस के किलकारी आंगन बुरा लगता है!
टूट गई हाथों की राखी सावन बुरा लगता है||
मांग में सिंदूर नहीं जीवन भार लगता है
खुशी की झोपड़ी दर्द का महल बुरा लगता है||

(9)नेताजी कहते विकास बहुत तेज हो रहा है!
विकास क्यों नजर से ओझल ओझल हो रहा है||
नशे का विकास देश जरूर हो रहा है !गली-गली में पौआ पौआ देश हो रहा है||

(10)किसी का चौक पुता कोई आकर बैठ रहा है!
किसी का तप कोई वरदान माग‌ रहा है||और किसी की मेहनत कोई छाती ठोक रहा है!
और किसी का मेडल कोई टांगे घूम रहा है

(11) स्वार्थ के बाजार जिस देश में लगने लगते हैं!
सत्य के व्यापारी जब तबाह होने लगते हैं| मदिरा के मंदिर फूलों से सजना लगते हैं! पूजा नहीं गौ माता की व्यापार होने लगते हैं||
रावण जैसे शक्तिशाली रण में हार ने लगते हैं!
तब लंका के दीपक खुद ही बुझने लगते हैं

(12)मदिरा का पैसा विकास मत कीजिए दर्द के आंसू स्नान मत कीजिए||
बच्चों के हाथ से रोटी मत छीनीये!
सो घर उजाला करोड़ अंधेरा मत कीजिए
मकान नहीं पक्का बस नशा मुक्ति कीजिए ||

(13)जिनके पास सुरक्षा उनको देश सुरक्षित लग रहा है!
देश का सच विमान से कहां दिख रहा है| पास नहीं सुरक्षा उनको सच दिख रहा है! पर सिंहासन सच उनका कहां सुन रहा है|सच कहने वाला नजरों से गिर रहा है !पैदल से पूछो कहा विकास विनाश हो रहा है||

(14)हम भी इंसान एक बार पास आइए दिल का जख्म गहरा चौड़ा मत बनाइए जख्म बहुत दे लिए अब तो बाज आइए वोट का अपराध कड़ी सजा मत सुनाइए|

(15)खुद का इल्जाम गैरों पर मत लगाइए!
निर्दोष को सजा सजा कड़ी मत सुनाइए| अधिकारी सस्पेंड लाइन अटैच मत कीजिए!
एक बार शराब को ही सस्पेंड कर दीजिए|

(16)ऐसा भी मत गिरो की खिलता पुष्प बिखर जाए!
ऐसा कार्य मत करो कि कुल कलंकित हो जाए||
इतना मत तड़पाओ कि देह से जान निकल जाए!
इतना भी मत पियो की लबों से जाम निकल जाए||

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