शराफ़त न ढूंढो़ इस जमाने में
दोस्तों,
एक मौलिक ग़ज़ल आपकी मुहब्बत के हवाले,,
ग़ज़ल
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जुबां को थोड़ी सी असरदार कीजिए,
करो जब भी बात, वजनदार कीजिए।
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कलंक पसरा है इतना संभल के इनसे,
जहान में बेदाग,तुम किरदार कीजिए।
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कभी किसी से मिलो,लगे मिला कोई,
दुखे दिल,रिश्ता ऐसा दमदार कीजिए।
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शराफ़त न ढूंढो इस जमाने में यार मेरे,
सभंल कर खुद को खबरदार कीजिए।
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गले लगा हंस के दर्द जो पूछते है दोस्त,
इरादों से उनके खुद को बेदार कीजिए।
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करे ग़ीबत “जैदि” कर ने दो,मगर तुम,
उल्फ़त लुटा,खुद को दिलदार कीजिए।
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मायने:-
बेदार:-चौकना
ग़ीबत:-बुराई, चुगली
शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”