शरद_ऋतु
दोहावली
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तुहिन कणों को देखकर,आया एक विचार।
शरद ऋतु पर सृजन करूँ,सोच समझ कर यार।।०१।। ================================
शरद ऋतु: का आगमन,स्वागत बारंबार।
मन भी हर्षित हो रहा, तन भी हर्षित यार।।०२।। ==============================
शीतल शीत सिखा रही, आज नया ही पाठ।
बच्चे करते मौज सब,शरदी का है ठाठ।।०३।। ===============================
शीत, शीत में बह रही,बाहर निकले कौन?
विधुकर शीतल हो गई, लहरें शीतल रैन।।०४।। ===============================
नज़रें जातीं हैं जहाँ, दिखता वहीं अलाव।
बच्चे-बूढ़े हैं सभी, बैठे किये घिराव।।०५।। ===============================
बैठे किये घिराव है,चलती है चौपाल।
तरह तरह की बात हो, जय, जय, जय गोपाल।।०६।। =================================
वर्षा ऋतु के बाद में, दिखता शरद प्रभाव।
बचना है यदि शीत से, जलता रखें अलाव।।०७।। =================================
पतझड़ में पत्ते झड़े, वर्षा बाद वसंत।
शीत लहर शीतल चलें, शरद ,शिषिर,हेमंत।।०८।। ================================
रोटी, चावल साथ में, मिले चने का साग।
शीतल शीत शरद ऋतु:, अद्भुत है अनुराग।।०९।। ================================
दिन छोटे हैं रात लघु, शरद अनोखी बात।
रविकर सुंदर है लगे, काली-काली रात।।१०।। ==============================