शरद ऋतु का आगमन
भीनी-भीनी खुशबू लेकर आई,
ठंडक दस्तक दे गई दरवाजे खिड़की में,
एहसासों से मदहोशी जगा गई।
मध्य रात्रि सैया में आकर,
ठंडी सांसो से बदन को छू गई,
शरद ऋतु का पैगाम लायी।
ओस की बूँद बैठी बाहर,
वृक्षों के पत्तों से एकटक तक रही,
मनोहारी सुबह खिली है अब।
शीतल पवन संग किरणों में,
सूर्य की लालिमा सप्त रंगों से भरती,
हरियाली को बहु रंगी करती।
चहक़ उठी पक्षी नभ में,
धरा में नर नारी सब जग गये,
स्वागत करने शरद ऋतु का।
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।