शरदपूर्णिमा (महारास)
शरदपूर्णिमा
(महारास)
शरद की जुन्हाई ,मनमोहिनी , कन्हाई,
सारी गोपियां हैं आई ,आज रास तो रचायलो।
राधा अलबेली , घनश्याम की सहेली,
करे श्याम से ठिठोली ,आज रास तो रचायलो।
नैना चमक रहे , पायल छनक रहे ,
अंग-अंग महक रहे ,आज रास तो रचायलो।
कान्हा मुस्काए , योग माया को बुलाए,
हर गोपी संग आए , दर्शन सुख पायलो।
इंदु पाराशर