शमशान और मैं l
एक सोच ने आज मुझको जकड़ा है,
पैरों मे पड़ी जंज़ीरो को ,
आज हिम्मत कर के पकड़ा है ।
मन की गति से चल रहा,
आज सोच का विमान है,
तीव्र किये ये अपनी रफ़तार है ।
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मैं डर गई हूँ इस तेज़ी से,
मैं थम गई हूँ आज यहीं,
थक गई हूँ मैं भागते-भागते
मैं थक गई वनवास काटते-काटते ।।
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लाओ कोई पानी पीला दो!
आओ कोई वीणा सुना दो!
सुनो न कोई मन की मेरे,
पूछो ना ज़रा हाल मेरा,
क्यूँ पूछते हो हर बार एक जैसे सवाल?
क्यूँ जाँचते हो मेरी ज़ात?
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क्यों पूछते हो किसने छोड़ दिया!
क्यों पूछते हो था कौन जिसने तोड़ दिया!
क्यूँ कहते हो नारी हो.. तुम सहो!
क्यूँ कहते हो चुप्पी साधे रहो!
क्यों पूछते हो किसने जला दिया?
पूछते क्यूँ हो बलात्कार कैसा हुआ ?
चेहरा किसने जला दिया?
कौन था जिसने दिल दुखा दिया?
क्यों करते हो मुझपर प्रहार?
पूछते क्यों हो जो दे पीड़ा अपार?
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पूछो ना कुछ जो कर दे मेरे मन को शांत!
कुछ जो दे चंदा सा प्रकाश!
सुनो न मेरी भी कोई,
पूछो न हाल मेरा भी कभी!
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क्यूँ हर युग मे मैं!आज़माई गई?
ना ना तरह से बेहलाई गई!
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मैं सीता हूँ जो वन गई ।
मैं सती थी जो जल गई ।
मैं मीरा सब सेहती रही ।
मैं द्रोपदी जो निर्वस्त्र हुई ।
कलयुग मे मैं निर्भया हुई ।।
अनंत बार मे मरती गई!
अंतिमा मैं जो अनंत पीड़ा सेह रही!
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क्यूँ देखते हो लालची आँखो से?
क्यूँ तोड़ते हो प्रहारों से?
नोचो मत बदन को मेरे!
मेरी चीखें क्यूँ दबाते हो?
मेरी कलाई को क्यूँ इतना सताते हो?
मुह दाब के मेरा,
साबित क्या करना चाहते हो?
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मैं थक गई हूँ!
इस काले विपिन मे दौड़ते-दौड़ते!
काली बेड़ियों को तोड़ते-तोड़ते!
मुझे चीखना हैं चिल्लाने दो…
आज सारी वेदना बहाने दो….
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क्यूँ साबित करूँ मैं अपनी पवित्रता?
क्यूँ देती रहूँ मैं अग्नि परीक्षा?
अनंत अंतिमा की कहानी है ।।
क्या इतनी सी ही मेरी ज़िंदगानी हैं?
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अग्नि पर चलाते हो क्यूँ?
बिस्तर के दाग़ से आज़माते हो क्यूँ?
मुझे आज चिल्लाने दो…
भीतर से सब निकालने दो….
आओ ना कोई पुचकार दो!
देखों ना परवाह कितना गेहरा है!
लय, प्रलय, आकाल है!
सुखा पड़ा क्या सारा संसार है!
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सबके कान बंद हैं क्या?
बिन कानों के यहां क्या सब इंसान हैं?
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सेजल गोस्वामी..
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#shamshan_or_mai …