शब्द शब्द गीत है
मीत जो समीप हो तो, शब्द शब्द गीत है
शब्द खोए खोए हो तो, नयन नयन प्रीत है
गुंजित जो भृंग हो तो, कली कली पुष्प है
कुसुमित जो बाग़ हो तो, महक मंद मंद है
प्रणय का ख़ुमार हो तो, प्रचुर प्रचुर हर्ष है
नैन स्वप्न सजन हो तो, लुप्त लुप्त चेत है
चित्त में अनुराग हो तो, दृश्य दृश्य रम्य है
मन में उल्लास हो तो, ऋतु ऋतु बहार है
साजन का साथ हो तो, डगर डगर छाँव है
हाथ में जो हाथ हो तो, रुचिर रुचिर राह है
पूनम जो रैन हो तो, तिमिर तिमिर शुभ्र है
तारों का जाल हो तो, पुलक पुलक अर्श है
परिजन समवेत हो तो, बहुल बहुल प्रमोद है
स्नेह सिक्त बंध हो तो, क़दम क़दम विनोद है
अल्प में संतोष हो तो, कुटी कुटी महल है
समग्रता का भाव हो तो, अणु अणु ईश है
डाॅ. सुकृति घोष
ग्वालियर, मध्यप्रदेश