आंखों की चमक ऐसी, बिजली सी चमकने दो।
तेरी वफाएं जब मेरा दिल तोड़ जाती है
रात घिराकर तम घना, देती है आराम
खोले हैं जज्बात के, जब भी कभी कपाट
गुरु कुल के प्रति गोपी छंद
जाहि विधि रहे राम ताहि विधि रहिए
हिंदी दोहे-पुरवाई
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
माँ-बाप का किया सब भूल गए
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मन को दीपक की भांति शांत रखो,
Anamika Tiwari 'annpurna '
मित्रो मैं इस प्लेटफॉर्म से मेरी सारी रचनाओं को हटाने जा रह
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ज़िन्दगी मत रुला हम चले जाएंगे
धैर्य के बिना कभी शौर्य नही होता है।
ग़ज़ल _ लगी सदियां वफ़ा के ,मोतियों को यूं पिरोने में ,