*”शबरी”*
“शबरी”
फागुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती मनाई जाती है।शबरी जयंती के दिन ही शबरी को उसके भक्ति के परिणामस्वरूप मोक्ष प्राप्ति हुई थी। हिन्दू पंचांग के अनुसार शबरी जयंती प्रति वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। शबरी का असली नाम श्रमणा था।रामायण काल में शबरी ने ही प्रभु श्रीराम को जूठे बेर खिलाए थे। घर से भागने के बाद अकेली शबरी जंगल में भटक रही थी।बाल्यकाल से ही श्रमणा भगवान श्री राम की भक्त थी ।शिक्षा प्राप्ति के उद्देश्य से कई गुरुवरों के आश्रम में दस्तक दी, लेकिन शबरी तुच्छ जाति की थी, इसलिए उसे सभी ने धुत्कार कर निकाल दिया। अंत में मतंग ऋषि के आश्रम में शबरी को स्थान और शिक्षा मिली। मतंग ऋषि शबरी की गुरु भक्ति से बहुत प्रसन्न थे। देह छोड़ने से पहले मतंग ऋषि ने शबरी को आशीर्वाद दिया कि एक दिन भगवान राम स्वयं शबरी से मिलने आएंगे। उस दिन उसका उद्धार होगा और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी। इस दिन शबरी की याद में भगवान राम तथा उनके परिवार को बेर चढ़ाएं तथा सफेद चंदन से तिलक लगाया जाता है।
शबरी जयंती पर शबरीमाला मंदिर में माता शबरी की पूजा अर्चना की जाती है तथा श्रद्धालुओं के लिए विशेष मेला लगता है।माता शबरी की पूजा अर्चना करने से श्री राम की कृपा प्राप्त होती है।इस दिन शबरी की स्मृति यात्रा निकाली जाती है।
*कौन कहता है भगवान खाते नहीं ….
बेर शबरी के जैसे खिलाते नहीं….! ! !
तपस्या धैर्य की जीती जागती मिसाल माता शबरी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं।
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