शबनम
देखो शबनम की बूँदें प्यार बरसाती है,
तप्त धरा भी हुई हरा मन को हर्षाती है।
बागों में हरियाली,खिले पुष्प पौधों पर,
मधुकर की पंक्ति भी देखो मीठा गाती है।।
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रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृह जिला- सुपौल (बिहार)
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०- 9534148597