शपथ
रक्षा बंधन पर ननद और भाभी भी लें शपथ
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रक्षाबंधन के पवित्र पर्व को भाई बहनों के पवित्र रिश्ते से जोड़ा गया है, जब माता के गर्भ से बच्चे का जन्म होता है उसे नहीं मालूम होता कि उसके माता पिता या भाई बहन कौन हैं , परिवार के बीच रहते हुए जब वह बच्चा हर रिश्ते को समझ लेता है तब उसका आचरण और संबंधित रिश्ते के लिए संबोधन दोनों सुनाई और दिखाई देने लगते हैं, हमारी संस्कृति में पति पत्नी, भाई बहन के रिश्ते में मजबूती आए और भावनात्मक जुड़ाव महसूस हो इसके लिए पर्व त्योहार पर विशेष ध्यान दिया गया है।
रक्षाबंधन एवं भइया दूजा जैसे पर्व पर बहनें अपने भाई के दीर्घायु होने और उम्र भर अपने भाईयों से अपनी बहनों की रक्षा करने का संकल्प उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांध कर लेती हैं।रक्षा बंधन के इस पुनीत अवसर पर बहनों को भी यह संकल्प लेना आवश्यक है कि जिस भाई ने उसे रक्षा करने का वचन दिया है, उसके परिवार में उसी भाई की पत्नी और बच्चों के प्रति भी वो समर्पित होकर वो ही आदर,स्नेह और प्रेम अपनी ओर से भी बनाये रखेंगी, कभी भी भाभी के खिलाफ वातावरण नहीं बनाएँगी,अपनी भाभी को भी ससुराल में चैन से जीने देंगी ताकि ना तो उसे आत्महत्या करने की नौबत आये और ना ही कोई हाथ उसकी हत्या के लिए उठे।बहनों को यह समझना होगा कि यदि आपके घर मे आपकी भाभी हैं तो आप भी किसी घर मे भाभी होंगी।अपनी भाभी से मित्रवत और बहन की तरह रिश्ते बनाकर ननद एक मिसाल समाज के सामने प्रस्तुत करेंगी और यही आचरण भाभी भी अपनी ननदों के बीच रखेंगी,उन्हें बहन और मित्र सा प्यार देंगी तो हमारी समाज की छवि काफी हद तक सुधर जाएगी और ससुराल में बेटियों को प्रताड़ित करने का दौर समाप्त हो सकेगा,सामाजिक कुरीतियों पर लगाम लगेगा और एक स्वस्थ सामाजिक जीवन हम जी सकेंगें।
——–सिंधु मिश्र,राँची