शत् कोटि नमन मेरे भगवन्
भगवान तुम्हारी करुणा से
चलता क्षण क्षण मेरा जीवन
किस भांति तुम्हें आभार कहूं
शत कोटि नमन मेरे भगवन
रवि बनकर तुमने दिया तेज
चंदा बनकर शीतलता दी
धरती मां बन आधार दिया
सुरसरि बनकर पावनता दी
नभ में जल में थल में पल पल
सर्वत्र तुम्हारा ही दर्शन
किस भांति तुम्हें आभार कहूं
शत कोटि नमन मेरे भगवन.
ऊंचे पर्वत नदिया गहरी
ये धरती मां की गोद हरी
ये लता विटप ये विविध पुष्प
अद्भुत है ये रचना तेरी
तुमसे ही चलता है भगवन
मेरे ह्रदय का स्पंदन
किस भांति तुम्हें आभार कहूँ
शत् कोटि नमन मेरे भगवन.
तुम ही हो जगदाधार प्रभो
तुम अखिल ब्रह्म के नायक हो
ये सृष्टि तुम्हारी रचना है
तुम जीव जीव के पालक हो
करुणा सागर, हे दयानिधे,
हे क्षमाशील तुमको वंदन
किस भाँति तुम्हें आभार कहूँ
शत् कोटि नमन मेरे भगवन.
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद