शख्शियत
इस कदर मुझे तन्हा
छोड़ जाओगे कहां
जिधर जा रहे हो
हमें पाओगे वहां ।
घाव देकर मुझे क्या
तुम चैन से सो पाओगे,
रात दिन ख्यालों में
मुझको पाओगे सदा ।
दिन गुजार लोगे
रात काट ना पाओगे
जब भी रहोगे अकेले
मुझे यादों में पाओगे ।
शख्सियत जो बनाई है
खून को पसीना बनाकर,
बहने नहीं दूंगा इसे
नदी को दरिया में मिलाकर ।