Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jul 2017 · 3 min read

“शक” लघु कथा

“शक” लघु कथा
बदलते परिवेश में मौसम से बदलते अनगिनत रिश्ते दबे पाँव आकर दस्तक देते हैं और जीवन में कुछ पल ठहर कर मौन ही लौट जाते हैं।सच मानो तो रिश्ते काँच के मानिंद होते हैं जिनकी ज़रा सी चुभन भी मन को लहूलुहान कर देती है। झूठ की बुनियाद पर टिके दिखावटी रिश्तों का टूटना आम बात है पर सच्चे, पाक रिश्तों में आई ज़रा सी खरोंच भी कभी -कभी कितनी जानलेवा हो जाती है ये उस दिन जाना जब रात साढ़े बारह बजे मैंने रेल की पटरी पर तेज़ रफ्तार से दौड़ती मीनल को देखा था। बेहद सुंदर, सौम्य, शालीन , खूबसूरती की जीती -जागती तस्वीर मीनल को देख कर भला कौन उस पर मर मिटना नहीं चाहेगा। काले घने बादलों से झाँकते उस चाँद से मुखड़े पर एक दिन आदिल की नज़रें जा टिकीं। गुलाबी साड़ी, कजरारे नैंन और उस पर खिलखिलाती मीनल की हँसी ने आदिल को कब अपना बना लिया ये तो खुद आदिल भी नहीं जान पाया। मीनल कॉलेज में लैक्चरार थी और आदिल की बहन रुक्साना मीनल की स्टूडैंट थी। आए दिन आदिल रुक्साना के बहाने कॉलेज में आता और मीनल से घंटों बात करता। धीरे-धीरे दोनों की जान-पहचान बढ़ने लगी। अब आदिल को मीनल से मिलने के लिए किसी बहाने की ज़रूरत नहीं थी। मीनल को भी आदिल का साथ भाने लगा था। घंटों मोबाइल पर बातें करना , हँसना -हँसाना ज़िंदगी का हिस्सा बन गए थे।अक्सर मीनल अपने पति से रुखसाना की बातों के बीच आदिल का भी ज़िक्र किया करती थी। पहले तो मनु मीनल की बातों पर कम ध्यान दिया करते थे पर जब आए दिन आदिल का नाम मीनल की जुबाँ पर आने लगा तो मनु के मन में आदिल को लेकर प्रश्नों का गुबार उठने लगा। एक दिन मीनल चौंक गई जब मनु ने मीनल की बात काटते हुए कहा – “इन कूड़ा बातों के लिए मेरे पास समय नहीं। बेहतर होगा कि तुम भी अपने काम पर ध्यान दो।” मीनल सकपका गई और चुपचाप काम में लग गई। अब मनु ज्यादा समय अपने काम को देने लगे। कई बार ऐसा भी होता था कि मीनल को मनु का इंतज़ार करते हुए अकेले ही सोना पड़ता था। मीनल का अकेलापन उसे अंजाने में ही आदिल के करीब ले आया।आदिल ने मीनल को वॉट्सएप्प से जोड़ दिया। दोनों घंटों वॉट्सएप्प पर चैटिंग करने लगे। अब मोबाइल मनु और मीनल के बीच आ गया था।जब मन में शक का बीज अंकुरित हो जाता है तो रिश्तों की पौध को दीमक चाटने लगती है। आदिल और मीनल की दोस्ती को एक साल पूरा होने जा रहा था। आज रुकसाना के जन्मदिन की पार्टी थी। मीनल आईने के सामने खड़ी सज रही थी। एकाएक मीनल को तैयार होता देख मनु पूछ बैठे-“कहाँ जाने की तैयारी हो रही है?” मीनल तुरंत बोली-“आज रुकसाना की बर्थडे पार्टी है। आदिल का वायलन पर प्रोग्राम भी है। आप भी चलिए ना..रुकसाना को अच्छा लगेगा।” मनु को मीनल के मुँह से आदिल का नाम सुनना गँवारा न था। वह तपाक से बोले-” मैं चला गया तो तुम आदिल के साथ गुलछर्रे कैसे उड़ाओगी?” मीनल चुप ना रह सकी। आज मनु ने उसके पाक दामन पर कीचड़ उछाली थी। पलट कर पूछ बैठी-” क्या कहा, गुलछर्रे…आखिर आप कहना क्या चाहते हैं?” मनु ने कहा- “वही ज़हरीली हकीक़त जिसका एक-एक घूँट पीकर मैं पिछले एक साल से तिल-तिल कर मर रहा हूँ ।” मीनल इस असहनीय कठोर प्रहार को सह न सकी। रोते हुए बोली-“आज कह ही डालिए ..जो कुछ आपके मन में है। मैं भी तो जानूँ ….आख़िर क्या किया है मैंने ? मीनल का हाथ पीछे की ओर मरोड़ कर मनु ने फिर कुठाराघात करते हुए कहा– ” अब कहने को क्या छोड़ा है तुमने ..चली क्यों नहीं जातीं अपने यार के पास? कम से कम ये मनहूस चेहरा तो नहीं देखना पड़ेगा।” ठीक है अब ये मनहूस चेहरा आप फिर कभी नहीं देखेंगे कहते हुए मीनल दरवाज़ा खोलकर तेज़ कदमों से बाहर निकल पड़ी। इससे पहले कि मैं उसे रोक पाती वह सामने से आती तेज रफ़्तार गाड़ी की भेंट चढ़ गई । काश, रिश्तों में सच्चाई जानने के लिए सब्र, समझ व इंसानियत बाकी होती!!! डॉ. रजनी अग्रवाल “वाग्देवी रत्ना”
महमूरगंज, वाराणसी (मो.-9839664017)

Language: Hindi
1 Like · 886 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ. रजनी अग्रवाल 'वाग्देवी रत्ना'
View all
You may also like:
सौ सदियाँ
सौ सदियाँ
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
संवेदनापूर्ण जीवन हो जिनका 🌷
संवेदनापूर्ण जीवन हो जिनका 🌷
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
समय का निवेश:
समय का निवेश:
पूर्वार्थ
दिल टूटने का डर न किसीको भी सताता
दिल टूटने का डर न किसीको भी सताता
Johnny Ahmed 'क़ैस'
बिना अश्क रोने की होती नहीं खबर
बिना अश्क रोने की होती नहीं खबर
sushil sarna
विवाह का आधार अगर प्रेम न हो तो वह देह का विक्रय है ~ प्रेमच
विवाह का आधार अगर प्रेम न हो तो वह देह का विक्रय है ~ प्रेमच
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
3010.*पूर्णिका*
3010.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बसंत का आगम क्या कहिए...
बसंत का आगम क्या कहिए...
डॉ.सीमा अग्रवाल
वो अजनबी झोंका
वो अजनबी झोंका
Shyam Sundar Subramanian
स्वयं से सवाल
स्वयं से सवाल
आनन्द मिश्र
*श्री देवेंद्र कुमार रस्तोगी के न रहने से आर्य समाज का एक स्
*श्री देवेंद्र कुमार रस्तोगी के न रहने से आर्य समाज का एक स्
Ravi Prakash
"नसीहत और तारीफ़"
Dr. Kishan tandon kranti
यदि सत्य बोलने के लिए राजा हरिश्चंद्र को याद किया जाता है
यदि सत्य बोलने के लिए राजा हरिश्चंद्र को याद किया जाता है
शेखर सिंह
"कदम्ब की महिमा"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
एक गुलाब हो
एक गुलाब हो
हिमांशु Kulshrestha
नहीं देखी सूरज की गर्मी
नहीं देखी सूरज की गर्मी
Sonam Puneet Dubey
चली लोमड़ी मुंडन तकने....!
चली लोमड़ी मुंडन तकने....!
singh kunwar sarvendra vikram
अपने जीवन में सभी सुधार कर सकते ।
अपने जीवन में सभी सुधार कर सकते ।
Raju Gajbhiye
!! पत्थर नहीं हूँ मैं !!
!! पत्थर नहीं हूँ मैं !!
Chunnu Lal Gupta
मोबाइल महिमा
मोबाइल महिमा
manorath maharaj
काजल
काजल
Neeraj Agarwal
''फॉलोवर्स
''फॉलोवर्स" का मतलब होता है "अनुगामी।"
*प्रणय*
उस पद की चाहत ही क्या,
उस पद की चाहत ही क्या,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏 * गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मेरी प्रीत जुड़ी है तुझ से
मेरी प्रीत जुड़ी है तुझ से
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
भोंट हमरे टा देब (हास्य कथा)
भोंट हमरे टा देब (हास्य कथा)
Dr. Kishan Karigar
"शिक्षक दिवस और मैं"
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
dr arun kumar shastri
dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
फासलों से
फासलों से
Dr fauzia Naseem shad
छल करने की हुनर उनमें इस कदर थी ,
छल करने की हुनर उनमें इस कदर थी ,
Yogendra Chaturwedi
Loading...