शक्ति प्रसूता
नारी तुम शक्ति प्रसूता हो, हर युग की तुम भी दृष्टा हो
तुम शक्ति, शक्ति प्रदायनी, तुम मातृत्व में ममता हो
जब जब तिमिर गहराया है, बन किरण उजाला लाया है
बन रण चंडी हुंकार किया, मुंड माल को कंठ में डाला है
तुम नव रात्रि की महाकाली, महाविद्या की भी प्रदाता हो
तुम शक्ति ……
तुमसे ही सृजन सृष्टि का, तुम ही अस्तित्व हो मिट्टी का
है गर्भ तुम्हारे मूल जगत , तुम ही तो अर्थ हो तृप्ति का
तुम विघ्नों का संहार करो, सर्वत्र तुम्हीं सर्व ज्ञाता हो
तुम शक्ति
तुम कन्या लक्ष्मी रत्न बनी, तुम नेह भ्रत के हाथ सजी
बन कर पत्नी श्रृंगार करो, तुम अमर प्रेयसी प्रीत बंधी
तुम दुर्गा दुर्ग विनाशिनी हो, यदि शांत तो गौरी माता हो
संस्कृति की परिचायक हो, सभ्यता की संचालक हो
करे प्रकृति अभिव्यंजना,तुम युग परिवर्तन साधक हो
करुण पुकार हो मानव की, तुम हर युग इक गाथा हो