शंकर छंद
शंकर छंद ( 16,10 पर यति) चरणांत में 21
मानव तन जो हमें मिला वह ,ईश का वरदान।
नश्वर,क्षण-भंगुर काया पर,मत करें अभिमान।
पाँव रखें पृथ्वी पर जब भी, भरें उच्च उड़ान।
चलें साथ अपनों को लेकर,जग करे गुणगान।।1
भोली भाली जनता पर करते,देश में वे राज।
मुफ्त सभी कुछ देने का जो,वादा करें आज।
रोजगार दें और नहीं कुछ ,चाहिए निःशुल्क।
संसाधन संपन्न बनेगा ,तभी अपना मुल्क।।2
डाॅ बिपिन पाण्डेय