वक़्त की साइकिल
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की श्रीमद भगवद गीता कहती है की जो बीत गया उसके लिए रोया नहीं करते -दुखी नहीं होते -हाँ सीखना अवशय चाहिए ,जो है उस पर अहंकार नहीं करना चाहिए क्यूंकि यहाँ हर चीज अस्थाई है -जितनी हो सके मदद करो ,और आने वाले के मोह में नहीं पड़ना चाहिए क्यूंकि मोह एक नए बंधन को जन्म देता है इसलिए हर हालात में स्थिर रहो …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जीवन में कभी भी किसी का भी नाजायज फायदा नहीं उठाना चाहिए ,ख़ास कर किसी की मजबूरी का या कहें मजबूरी में …,ये वक़्त की साइकिल का पहिया है कब घूम जाये …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की मेरे चुप रहने को लोग अहंकार का नाम देते हैं ,अब समझाएं तो कैसे समझाएं इनको की अधिकांशतः टूटे -बिखरे लोग खामोश हो जाए हैं आगे की लड़ाई को और मजबूती से लड़ने एवं नई ऊर्जा प्राप्त करने के लिए …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की एक इंसान दुसरे इंसान को जुबानी तो माफ़ कर देता है किन्तु दिल की गहराइयों से माफ़ करने में सदियां बीत जाती हैं …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान